व्रत त्योहार

24 जुलाई को किया जा रहा गजानन संकष्टी चतुर्थी का व्रत, जानिए पूजन विधि

हिंदू धर्म में किसी भी शुभ काम की शुरूआत करने से पहले भगवान गणेश की पूजा करना शुभ माना जाता है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है, क्योंकि वह अपने भक्तों के सभी विघ्न हर लेते हैं। बता दें कि सावन की महीना 22 जुलाई 2024 से शुरू हो रहा है। सावन के पहले सोमवार के बाद गजानन संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाएगा।

बता दें इस साल आज यानी की 24 जुलाई को गजानन संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जा रहा है। इस दिन जो भी जातक व्रत करता है और भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करता है, उसको भगवान गणेश सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। तो आइए जानते हैं गजानन संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व और पूजन विधि के बारे में…

शुभ मुहूर्त                                                                                 हर साल सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को गजानन संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इस बार उदयातिथि के हिसाब से 24 जुलाई 2024 को गजानन संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जा रहा है। बता दें कि यह व्रत सूर्योदय के साथ शुरू होता है और चंद्र दर्शन के बाद समाप्त हो जाता है। हिंदू पंचांग के मुताबिक 24 जुलाई को सुबह 07:30 मिनट पर चतुर्थी तिथि की शुरूआत हो रही है। वहीं अगले दिन यानी की 25 जुलाई की सुबह 04:19 मिनट पर इस तिथि का समापन होगा। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 05.38 – सुबह 09.03 मिनट तक है।

चंद्रोदय समय                                                                       गजानन संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रमा रात में 09:38 मिनट पर चंद्रोदय होगा। इस व्रत में चंद्रदोय के बाद ही व्रत खोला जाता है। इस दिन चंद्र देव की पूजा करने से जातक को मानसिक शांति और खुशहाली मिलती है।

गजानन संकष्टी चतुर्थी महत्व                                                         बता दें कि गजानन संकष्टी चतुर्थी का व्रत नियमानुसार करना चाहिए। तभी जातक को इस व्रत का पूरा लाभ मिलता है। इसके अलावा इस दिन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने से जातक को धन, वैभव, यश और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।

पूजा विधि

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर सूर्यदेव को अर्घ्य दें।

फिर लकड़ी की चौकी पर भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा स्थापित करें।

अब श्रीगणेश को पीले पुष्पों की माला अर्पित करें और फिर कुमकुम का तिलक करें।

इसके बाद मिठाई या मोदक आदि का भोग अर्पित करें।

इस दिन श्रीगणेश को दुर्वा जरूर अर्पित करना चाहिए।

आखिरी में आरती करें और पूजा में हुई भूलचूक के लिए क्षमायाचना कर सुख-समृद्धि की कामना करें।

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