शारदीय नवरात्र के नवम् दिवस पर सीएम धामी ने किया कन्या पूजन
लोगों के मन में यह भ्रम बना है कि महा अष्टमी और नवमी तिथि 11 अक्तूबर को मनाएं या फिर 12 अक्तूबर को। शास्त्रों में नवरात्रि पर अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन करने का विशेष महत्व होता है।
पंचांग की गणना के मुताबिक आश्विन माह की अष्टमी तिथि की शुरुआत 10 अक्तूबर को हो गई, जिसका समापन 11 अक्तूबर को दोपहर 12 बजकर 7 मिनट पर हुआ। इस तरह से अगर उदया तिथि के आधार पर बात करें तो अष्टमी तिथि 11 अक्तूबर को ही मनाई गई। जिन लोगों ने अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन किया। उन लोगों ने 11 अक्तूबर को दोपहर अष्टमी तिथि के समापन के पहले तक पूजा संपन्न कर व्रत का पारण कराया।
मान्यता है कि बिना कन्या पूजन के नवरात्र का पूरा फल नहीं मिलता है। कन्या पूजन करने से परिवार के सभी सदस्यों के बीच प्रेम भाव बना रहता है और सभी सदस्यों की तरक्की होती है।
2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की कन्या की पूजा करने से व्यक्ति को अलग-अलग फलों की प्राप्ति होती है। जैसे कुमारी की पूजा करने से आयु और बल की वृद्धि होती है। त्रिमूर्ति की पूजा करने से धन और वंश वृद्धि, कल्याणी की पूजा से राजसुख, विद्या, विजय की प्राप्ति होती है। कालिका की पूजा से सभी संकट दूर होते हैं और चंडिका की पूजा से ऐश्वर्य व धन की प्राप्ति होती है। शांभवी की पूजा से विवाद खत्म होते हैं और दुर्गा की पूजा करने से सफलता मिलती है। सुभद्रा की पूजा से रोग नाश होते हैं और रोहिणी की पूजा से सभी मनोरथ पूरे होते हैं।