पर्यटन स्थल

अनूठी वास्तुकला और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है उदयपुर नगरी

राजस्थान की उदयपुर नगरी अपनी बेहद समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, अनूठी वास्तुकला और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। इस नगरी को ‘राजस्थान के कैलाश’ के नाम से भी जाना जाता है, जोकि इसके रोमांचक इतिहास और विलक्षण समृद्धता का प्रतीक है।

उदयपुर का इतिहास गहरी संस्कृति और महाराणा प्रताप की वीरता के गाथाओं से भरा हुआ है। यहां के भव्य महल, बावड़ियां और शांतिपूर्ण झीलें इसे एक पर्यटन और संस्कृति का केंद्र बनाती हैं।

उदयपुर का सबसे प्रमुख पर्यटन स्थल है सहेलियों की बाड़ी, जो राजस्थानी शैली में बना हुआ है। यह शहर अपने फूलों की खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है। यहां पर्यटक शांति और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेते हैं।

उदयपुर का प्रमुख आकर्षण है  लेक पैलेस, जो पिचोला झील में स्थित है और अपनी राजस्थानी वास्तुकला के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। यहां के महलों और बावड़ियों में भी विशेष रूप से राजपूताना की परंपराएं दिखाई देती हैं।

उदयपुर के इन सभी पर्यटन स्थलों के अलावा यहां के जगदीश मंदिर, हल्दी घाटी, कुम्भलगढ़ किला और फतेह सागर जैसे स्थल भी पर्यटकों के बीच लोकप्रिय हैं।

उदयपुर के प्रमुख मंदिर

जगदीश मंदिर: उदयपुर का सबसे प्रसिद्ध और पवित्र मंदिर जगदीश मंदिर है, जो किला पहाड़ी के पास स्थित है। यह मंदिर महाराजा जगदीश सिंह द्वारा 1651 ईस्वी में बनवाया गया था और विष्णु भगवान को समर्पित है। इसकी वास्तुकला और राजस्थानी शैली के मधुर संगम ने इसे पर्यटकों के बीच बहुत ही प्रसिद्ध बना दिया है।

काली मंदिर: उदयपुर में स्थित काली मंदिर भी एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो माँ काली को समर्पित है। यहां पर्यटक आकर्षित होते हैं और इस मंदिर की सुंदरता और धार्मिक महत्व का आनंद लेते हैं।

नवलक्ष मंदिर: यह भी उदयपुर का एक प्रसिद्ध मंदिर है जो लक्ष्मी नारायण को समर्पित है। इसकी विशेषता इसकी वास्तुकला और शांतिपूर्ण वातावरण में है जो पर्यटकों को भारतीय संस्कृति का अनुभव करने का मौका देता है।

ईकलिंगजी मंदिर: यह भगवान शिव का प्रसिद्ध मंदिर है जो सितामाता झील के किनारे स्थित है। इसकी स्थापना 734 ईस्वीं में हुई थी और इसकी वास्तुकला स्थानीय संस्कृति की प्रतीक है।

अचलनाथ जी मंदिर: यह मंदिर पापना जी के निवास के रूप में जाना जाता है और यहां पर भगवान शिव को पूजा जाता है। इसकी स्थापना राणा कुमार सिंह द्वारा की गई थी।

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